संभाल ये डगमगाते कदम
बन अविचल, निर्भय, निडर
हो उन्नति के पथ पर अग्रसर।
हो प्रेरित तरंगिणी से
न रोक पाए जिसे अश्म
है जिस प्रकार हिमालय खड़ा
अडिग, अचल, दृढ़।
सैंकड़ों मुकाम हैं बाकी
एक हार से न कर खुद को खत्म
हो उन्नति के पथ पर अग्रसर।
बन अविचल, निर्भय, निडर
हो उन्नति के पथ पर अग्रसर।
हो प्रेरित तरंगिणी से
न रोक पाए जिसे अश्म
है जिस प्रकार हिमालय खड़ा
अडिग, अचल, दृढ़।
सैंकड़ों मुकाम हैं बाकी
एक हार से न कर खुद को खत्म
हो उन्नति के पथ पर अग्रसर।
No comments:
Post a Comment