Thursday, 6 June 2019

ग़म की मुस्कुराहट

हंसी की न पूछो ए हुज़ूर
हर मुस्कुराहट एक ग़म छिपाए बैठी है....
ये भी एक कला है होंठों की
जो डाले हुए है पर्दा हर इक ग़म पर...
कहीं इश्क है कहीं तन्हाई
तो कहीं मिलन है कहीं जुदाई...
ग़ज़ब फ़नकार है ये चेहरा
आदत है जिसे मुस्कुराने की
जिंदगी के हर इक ग़म को हंसी तले दबाने की...


Image source: Favim.com

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